Swachh Bharat घोटाला: मध्य प्रदेश में 13 करोड़ की हेराफेरी, अधिकारी फरार

Saurabh
By Saurabh
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Swachh Bharat

मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में Swachh Bharat Mission के तहत हुए 13.21 करोड़ रुपये के घोटाले ने सबको चौंका दिया है। इस घोटाले ने स्वच्छ भारत अभियान की साख पर सवाल उठा दिए हैं। जांच में सामने आया है कि एक अधिकारी ने डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग कर इस राशि को हड़प लिया, और अब वह फरार है। आइए, इस मामले को गहराई से समझते हैं।

Swachh Bharat Mission में कैसे हुआ घोटाला?

Swachh Bharat Mission (Rural) एक केंद्रीय योजना है, जिसे बैतूल जिले में जिला पंचायत के जरिए लागू किया जाता है। इस योजना के तहत शौचालय निर्माण, कचरा गाड़ियां, सोख्ता गड्ढे, कम्पोस्टिंग यूनिट और अन्य अपशिष्ट प्रबंधन कार्य किए जाते हैं। इन कार्यों के लिए धनराशि Public Financial Management System (PFMS) के माध्यम से ग्राम पंचायतों, कार्यान्वयन एजेंसियों या लाभार्थियों को दी जाती है, लेकिन इसके लिए तकनीकी और प्रशासनिक स्वीकृति जरूरी होती है।

बैतूल के भिमपुर और चिचोली जनपद पंचायतों में जांच के दौरान चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। जांच में पाया गया कि ब्लॉक कोऑर्डिनेटर राजेंद्र सिंह परिहार ने 2 नवंबर 2021 से 5 मार्च 2025 तक चिचोली और 31 जनवरी 2023 से 24 अक्टूबर 2024 तक भिमपुर में रहते हुए 13,21,71,220 रुपये की अनधिकृत भुगतान करवाए। ये भुगतान इंदौर और वारासिवनी में स्थित एक निर्माण कंपनी, एक ऑटो फर्म और कुछ बैंक खातों में किए गए। हैरानी की बात यह है कि इन भुगतानों के लिए न तो कोई काम हुआ, न ही कोई तकनीकी या प्रशासनिक स्वीकृति ली गई, और न ही कोई दस्तावेज कार्यालय में मौजूद हैं।

जांच में यह भी सामने आया कि परिहार ने दो कंप्यूटर ऑपरेटरों की मदद से CEO के डिजिटल हस्ताक्षर सर्टिफिकेट का दुरुपयोग किया। यह दुरुपयोग संभवतः जनपद पंचायत कार्यालयों के बाहर से किया गया, जिससे अनधिकृत और धोखाधड़ी वाले वित्तीय लेनदेन को अंजाम दिया गया। बैतूल के पुलिस अधीक्षक निश्चल एन झारिया ने बताया कि परिहार फरार है और 19 मार्च को 12 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी से संबंधित धाराओं में FIR दर्ज की गई है। एक विशेष जांच दल (SIT) इस मामले की गहराई से जांच कर रहा है, और संभावना है कि और भी सरकारी अधिकारियों को इसमें शामिल किया जा सकता है।

Swachh Bharat की साख पर सवाल, अब क्या कदम?

इस घोटाले ने Swachh Bharat Mission की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। बैतूल कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने स्वीकार किया कि इस मामले में कुछ खामियों का फायदा उठाया गया। उन्होंने बताया कि डिजिटल हस्ताक्षर का दुरुपयोग हुआ और धनराशि निकाले जाने पर कोई OTP अलर्ट नहीं मिला। अब सरकार ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाने शुरू कर दिए हैं।

कलेक्टर ने बताया कि सभी विकास कार्यों की मासिक समीक्षा शुरू की गई है। परिहार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू हो चुकी है, उनकी संपत्ति की पहचान की जा रही है, और चोरी की गई राशि की वसूली की जाएगी। इसके अलावा, सभी डिजिटल हस्ताक्षर अब पेन ड्राइव में सुरक्षित किए जाएंगे और एक निगरानी टीम सभी विकास कार्यों की समीक्षा करेगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।

यह घोटाला न केवल Swachh Bharat Mission की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की कितनी जरूरत है। बैतूल जैसे आदिवासी बहुल जिले में, जहां स्वच्छता और बुनियादी ढांचे की जरूरत सबसे ज्यादा है, वहां इस तरह की धोखाधड़ी जनता के विश्वास को तोड़ने वाली है।

आगे की राह और जनता की उम्मीदें

Swachh Bharat Mission का उद्देश्य देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाना है, लेकिन इस तरह के घोटाले इस मिशन की गति को धीमा कर सकते हैं। सरकार को चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त निगरानी तंत्र बनाए और डिजिटल प्रणालियों को और सुरक्षित करे। जनता को भी चाहिए कि वह ऐसी योजनाओं के प्रति जागरूक रहे और किसी भी अनियमितता को तुरंत प्रशासन तक पहुंचाए।

इस मामले में अभी जांच जारी है और उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी। Swachh Bharat Abhiyaan के तहत होने वाले कार्यों को और पारदर्शी बनाने की जरूरत है ताकि जनता का भरोसा इस महत्वाकांक्षी योजना पर बना रहे। बैतूल का यह घोटाला एक चेतावनी है कि अगर सही समय पर सही कदम नहीं उठाए गए, तो अच्छी योजनाएं भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ सकती हैं।

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